हिंदी शोध संसार

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

'देश इतना कमजोर नहीं कि कुछ नारों से टूट जाए'

'साला सब पॉलिटिक्स है.. यूपी चुनाव करीब है.. इसलिए सब बीजेपी करवा रही है..'
'नारे लगाने वाले तो साफ साफ दिख रहे हैं.. इसमें बीजेपी वाले कहां है.. अगर बीजेपी वाले हैं तो दूसरे लोग उन्हें चुप करा सकते थे..'
'इससे क्या हो जाएगा..?'
'इससे क्या हो जाएगा..? देश टूट जाएगा'
'देश इतना कमजोर नहीं है कि ये किसी के नारे से टूट जाए'
"हम लोग ज्यादा बुद्धिमान हो गए हैं इसलिए ये बात कह रहे हैं.. अगर सेना का एक जवान पीठ दिखाकर सरहद से भाग आए तो साथी जवान उसे गोली मार देते हैं.. उसका कोर्ट मार्शल हो जाता है.. और हम नारों की स्वतंत्रता की चाहत रखते हैं"

देशभर में ऐसी बहस तेज है.. मुट्ठीभर लोग नारे लगा रहे हैं.. मुट्ठी भर लोग उसे सही ठहरा रहे हैं.. लेकिन ज्यादातर देशवासी देशद्रोहियों की गतिविधियों से आहत हैं.. जिस यूनिवर्सिटी से देश का भविष्य निकलने की उम्मीद पाले हुए हैं.. उस यूनिवर्सिटी में देशद्रोही पल रहे हैं.. देश के टुकड़े करने की बात कर रहे हैं.. हाल एक दो नहीं कई यूनिवर्सिटीज का है.. पहले जेएनयू और अब यादवपुर यूनिवर्सिटी का वीडियो सामने आया है.. संसद पर हमला करने वाले आंतकियों की शहादत को सलाम किया जा रहा है.. उनके कातिलों (ये कातिल कौन हैं.. भारत सरकार, देश की अदालत) से बदला लेने की बात कही जा रही है.. इन देशद्रोहियों ने जो नारे लगाए उनके नमूने तो देखिए-
  • “पाकिस्तान जिंदाबाद”
  • “गो इंडिया गो बैक”
  • “भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जारी”
  • “कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी जारी”
  • “अफ़ज़ल हम शर्मिन्दा है तेरे कातिल ज़िंदा हैं”
  • “तुम कितने अफजल मरोगे, हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा”
  • “अफ़ज़ल तेरे खून से इन्कलाब आयेगा”                   इस देश में भगत सिंह के खून से इंकलाब नहीं आया.. सुभाष चंद्रबोस के कून से इंकलाब नहीं आया.. ये देशद्रोही अफजल, मकबूल और याकूब जैसे आंतकियों के खून से इंकलाब लाना चाहते हैं..  देशद्रोही तो देशद्रोही ठहरे हमारे नेता (इन्हें देश के माथे पर कलंक कहिए) अभिव्यक्ति का हवाला देकर इन देश द्रोहियों का बचाव कर रहे हैं.. इनमें एक नहीं, तमाम सेक्युलर पार्टियों के नेता (कम्युनल बीजेपी?) को छोड़ दें तो शामिल हैं.. राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, वृंदा करात, नीतीश कुमार, केसी त्यागी, अरविंद केजरीवाल, लालू प्रसाद सब के सब शामिल हैं.. अमित शाह ने राहुल से पूछा--
    इन छात्रों को सही ठहराकर राहुल गांधी किस लोकतांत्रिक व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं. क्या राहुल गांधी के लिए राष्ट्रभक्ति की परिभाषा यही है ? देशद्रोह को छात्र क्रान्ति और देशद्रोह के खिलाफ कार्यवाही को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात का नाम देकर उन्होंने राष्ट की अखण्डता के प्रति संवेदनहीनता का परिचय दिया है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इन नारों का समर्थन करके क्या उन्होंने देश की अलगाववादी शक्तियों से हांथ मिला लिया है ? क्या वह स्वतंत्रता की अभिवक्ति की आड़ में देश में अलगाववादीयों को छूट देकर देश का एक और बटवारा करवाना चाहते है?
    देश की राजधानी में स्थित एक अग्रणी विश्वविद्यालय के परिसर को आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का केंद्र बना कर इस शिक्षा के केंद्र को बदनाम करने की साजिश की गयी. मैं राहुल गांधी से पूंछना चाहता हूं कि क्या केंद्र सरकार का हांथ पर हांथ धरे बैठे रहना राष्ट्रहित में होता ? क्या आप ऐसे राष्ट्रविरोधियों के समर्थन में धरना देकर देशद्रोही शक्तियों को बढ़ावा नहीं दे रहे है ?
    देश की सीमाओं की रक्षा और कश्मीर में अलगाववाद को नियंत्रित करते हुए हमारे असंख्य सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके है. 2001 में देश की संसद में हुए आतंकवादी हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवान, 2 संसद सुरक्षाकर्मी और और एक माली शहीद हुए थे.
    इसी आतंकी हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरू का महिमा मंडल करने वालों और कश्मीर में अलगाववाद के नारे लगाने वालों को समर्थन देकर राहुल गांधी अपनी किस राष्ट्रभक्ति का परिचय दे रहे है? मैं उनसे पूंछना चाहता हूं कि अभी हाल में सियाचिन में देश की सीमा के प्रहरी 9 सैनिकों जिनमे लांस नायक हनुमंथप्पा एक थे के बलिदान को क्या वह इस तरह की श्रद्धांजली देंगे ?
    अमित शाह ने कहा कि मोदी की सफलता से कांग्रेस में घोर हताशा और निराशा है.. इस हताशा में वो देश हित और देश विरोध भूल गए हैं.. 
    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी कहने की आजादी कैसे दी जा सकती है.. इन देशद्रोहियों को ऐसा सबक सिखाया जाए.. कि वो फिर से देश तोड़ने की बात न करेंगे.. 

    जिस सियाचीन को हमने कभी नहीं देखा.. ना कभी हम देखेंगे.. उस निर्जन शीत रेगिस्तान के लिए हमारे करीब 1000 से ज्यादा जवान अब तक क्यों शहीद हुए.. क्यों लांस नायक हनुमंतथप्पा ने अपने प्राणों की आहूति दे दी.. क्यों एक-एक जवान पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है.. क्यों हमने इतनी बड़ी सेना खड़ी कर रखी है.. इसलिए कि दिल्ली के सीने पर बैठकर देशद्रोदी देश को तोड़ने की कसमें खाएं.. आतंकियों की मौत का बदला देने के लिए तकरीरें दे... 
    अब तक ये कहा जा रहा था कि नारेबाजी करने में जेएनयू छात्र संघ का नेता कन्हैया कुमार शामिल नहीं था.. लेकिन उसका भी नया वीडियो आ गया है.. जेएनयू के इन देशद्रोहियों के बचाव में उतरा है.. जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन.. जो टीचर्स एसोसिएशन यूनिवर्सिटी में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता हो वो तो बचाव में उतरेगा ही..  
    ऐसा नहीं है कि जेएनयू में सारे टीचर्स एक जैसे हैं.. कई टीचर्स हैं ऐसे भी हैं.. जो पढ़ाना चाहते हैं.. और देशद्रोही छात्र और टीचर्स उन्हें पढ़ाने और छात्रों को पढ़ने नहीं देते हैं.. ऐसे लोगों को एक्सपोज करना और उनपर कड़ी कार्रवाई करना जरूरी है.. ये टीचर्स आतंकियों से मिले हैं.. आइये सुनते हैं एक टीचर का खुलासा..  

    हर छात्र का हर साल तीन साल की सब्सिडी सिर्फ इसलिए दी जाती है कि यहां आतंकवादियों के नर्सरी तैयार हो.. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.. और इससे निपटने बेहद जरूरी है..

     
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