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रविवार, 27 अप्रैल 2014

प्रतिक्रिया

अकबर के दरबार में चार चोरों को पेश किया गया। चारों पर नगर के एक सेठ के घर में चोरी का
आरोप था। अकबर ने बीरबल से मामले की सुनवाई करने और फैसला सुनाने को कहा। अन्य दरबारियों को अकबर के इस फैसले से जलन हुई, लेकिन उन्होंने बादशाह के डर से मुंह नहीं खोला। सब के सब मौके की ताक में थे।
बीरबल ने मुकदमे की सुनवाई की और फैसला सुनाया। पहले चोर से बीरबल ने कहा, "आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। अब आपको क्या कहें, आप जाइये।" दरबार में मौजूद लोग बीरबल के फैसले से आश्चर्यचकित थे। वे दूसरे चोर को सुनाई जाने वाली सजा की प्रतिक्षा कर रहे थे।
दूसरे चोर को बीरबल ने जबर्दस्त डांट पिलाई और गालियां देते हुए कहा, "शर्म नहीं आई चोरी करते हुए। हरामजादे, चल भाग यहां से, नहीं तो ऐसी मार पड़ेगी कि नानी याद आ आएगी।" दूसरे चोर के प्रति बीरबल के व्यवहार ने सबको हैरत में डाल दिया। पहले चोर को "आप" कहने वाला बीरबल दूसरे चोर को हरामजादा कैसे कह सकता है। मगर किसी में मुंह खोलने की हिम्मत नहीं थी।
बारी थी तीसरे चोर की। सबकी नजरें तीसरे चोर पर ठहर गई। तीसरा चोर मार खाने के लिए तैयार था। बीरबल ने उसकी मनोकामना पूरी कर दी। तीसरे चोर को खूब पिटवाया। तीसरे चोर के साथ बीरबल का मार-पीट पूर्ण व्यवहार किसी को अच्छा नहीं लगा। बीरबल के खिलाफ कानाफूसी होने लगी। मगर, सबसे अहम चौथे चोर के खिलाफ बीरबल का फैसला आना बाकी था।
बीरबल ने चौथे चोर को आधा सिर मुंडवाकर उस पर कालिख चूना लगाकर गधे पर बैठाकर पूरे शहर में घुमवाने का फैसला सुनाया।
बादशाह अकबर की न्यायप्रियता से यहां हर कोई वाकिफ था, लेकिन उनके सामने बीरबल एक अपराध के लिए चार चोरों को अलग-अलग सजा सुनाएगा, ये फैसला किसी को मंजूर नहीं था। दरबारियों में ही विरोध के स्वर फूट पड़े। जहांपनाह भी हरकत में आ गए। बीरबल से कहा, बीरबल, तुम्हारे न्याय पर कुछ लोगों को एतराज है, उनकी शंकाएं दूर करो।
बीरबल को पहले से पता था कि ऐसा ही कुछ होगा और वो भी पहले से इसके लिए तैयार था। उसने उन चारों के पीछे एक-एक दूत लगा दिए और लोगों से एक सप्ताह तक प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया।
एक सप्ताह बाद दूतों ने जो समाचार लाए, वो चौंकाने वाले थे। पता चला कि पहले चोर ने दरबार छोड़ते ही आत्महत्या कर ली। दूसरे चोर के बारे में खबर आई कि वो नगर छोड़कर बाहर चला गया है और पिछले एक सप्ताह में किसी को नजर नहीं आया। तीसरे चोर ने पिछले एक सप्ताह से खुद को अपने ही घर में बंद कर रखा है। जबकि चौथा चोर गदहे पर बैठकर मस्ती में आने जाने वालों को गाली देता था। ताली बजाने वालों पर थूकता था। जो उसकी ओर देखते थे वो उनको देख लेने की धमकी देता था। रास्ते में उसकी पत्नी मिली तो वो बोला, जा चमेली, पानी भर कर रखना, इन गधों को घूमाकर आ रहा हूं।
समाचार सुनने के बाद सब के सब मौन हो गए, बीरबल से किसी को कोई शिकायत नहीं बची।

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